रविवार, 31 मई 2009

त्रियुंड : जन्नत ही जन्नत


त्रियुंड : जन्नत ही जन्नत
झमाझम बारिश के बीच ट्रैकिंग। इस रोमांच से भीगने के लिए हमने चुना हिमालय की धौलाधार पर्वत श्रृंखला का एक छोटा-सा ट्रैक 'त्रिउंड', जो करीब दस हजार फुट की ऊँचाई पर है। कभी टिपटिप बारिश तो कभी तेज बौछारों के बीच फिसलन भरे पहाड़ी रास्तों पर एक-एक कदम जमाने की जद्दोजहद ने हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला से ऊपर इस ट्रैक को यादगार बना दिया। हालाँकि यह ट्रैक लंबा भी किया जा सकता है अगर लाका और बर्फीले इंद्रहार दर्रा पार करते हुए

चंबा की ओर बढ़ा चला जाए, लेकिन बारिश में फिसलन भरे रास्ते के बाद, हो सकता है, आप भी हमारी तरह ऊपर चोटी की बर्फ देखने के बजाय एक रात अपने तंबू या अधपक्के घर में बादल की गर्जन-तर्जन महसूस करने के लिए रुक जाएँ।इस ट्रैक का सफर शुरू होता है मैक्लोडगंज से जो तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी है। दलाई लामा की पीठ होने के चलते यह दुनिया भर के बौद्धों के लिए आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। बौद्ध मठों और बौद्ध भिक्षुओं की इस नगरी से ही खुलता है त्रिउंड का रास्ता।
यह रास्ता आपको मेघालय के चेरापूँजी की याद दिलाता है जिसे कुछ समय पहले तक सबसे अधिक बारिश के लिए जाना जाता था। ऊपर त्रिउंड पहुँचते-पहुँचते दिन ढलने लगा था। ठंड और बारिश बढ़ गई थी। बादल खूब गरज रहे थे और चोटी पर बिजलियों का घेरा था।
इस पूरे ट्रैक में आपको सुनाई देती हैं बौद्ध मठों की घंटियों की मधुर ध्वनि, जो धुंध और नीचे उतर आए बादलों की सतह पर तैरती प्रतीत होती है। मैक्लोडगंज का एक बड़ा आकर्षण है भगसू फॉल्स और भगसू मंदिर। ठीक झरने के ऊपर से शुरू होता है 'त्रिउंड ट्रैक'। जब हमने अपना ट्रैक शुरू किया तो धीमी-धीमी फुहार पड़ रही थी, जो पूरे रास्ते कभी बहुत तेज तो कभी हलकी होती रही, लेकिन थमी नहीं।रास्ते भर हाथों में छाता और कंधे पर टंगे सामान को पन्नी से कसकर बाँधने के बावजूद हाथ-पैर नम से लगने लगते हैं। बारिश के चलते रास्ता ठीक से दिखता नहीं, पैरों का संतुलन गड़बड़ाता है। फिसलन इतनी है कि एक कदम गलत पड़ा और सैकड़ों फुट नीचे खाई में। ऐसे रास्ते पर छाते को थामे हुए चलना टेढ़ी खीर है। यह रास्ता आपको मेघालय के चेरापूँजी की याद दिलाता है जिसे कुछ समय पहले तक सबसे अधिक बारिश के लिए जाना जाता था। ऊपर त्रिउंड पहुँचते-पहुँचते दिन ढलने लगा था। ठंड और बारिश बढ़ गई थी। बादल खूब गरज रहे थे और चोटी पर बिजलियों का घेरा था। लगने लगा कि रात इन्हीं के साथ बीतेगी। त्रिउंड में रुकने के लिए सिर्फ वन विभाग का एक गेस्ट हाउस है, जो एक स्थायी इंतजाम है। वहाँ चोटी के पास थोड़ी-सी जगह समतल है जहाँ हमने बारिश और तेज हवा के बीच अपने टेंट गाड़े। तंबू के भीतर बैठे हम शमशेर बहादुरसिंह के शब्दों को याद कर रहे थे- "काल तुझसे होड़ है मेरी।" इस तरह से रात कटी और सुबह जब बाहर निकले तो चारों तरफ का नजारा इतना मासूम था कि लग ही नहीं रहा था कि रात क्या वलवला था। ऊपर बर्फ से ढँकी चोटियाँ और नीचे दिलकश घाटी। लौटते हुए मैक्लोडगंज और रास्ते में बने बौद्ध मठों की घंटियाँ यह आभास दिलाती रहीं कि निर्जन वन में कहीं दूर ही सही कोई है।

मछली का शिकार करने पर होगी तीन वर्ष कैद

मछलियों का शिकार करने वालों की खैर नहीं। मत्स्य विभाग ने मछली पकड़ने वालों पर शिकंजा कसने के लिए कमर कस ली है। प्रजनन काल में अगर शिकारियों ने मछली का शिकार किया तो उन्हें तीन वर्ष की सजा भुगतनी पड़ेगी। अगर मौके पर पकड़े गए तो तीन हजार रुपये जुर्माना देना होगा। मत्स्य प्रजनन काल में जिले के सभी नदियों व जलाशयों में जून से जुलाई तक मछली के शिकार पर रोक रहेगी। प्रजनन काल के दौरान कोई व्यक्ति मछली का शिकार करता पकड़ा गया तो उसे उक्त दोनों सजाएं एक साथ हो सकती हैं। मत्स्य विभाग ने इसे गैर-जमानती अपराध भी करार दिया है। प्रजनन काल के दौरान शिकारियों की धरपकड़ के लिए मत्स्य विभाग ने विशेष दस्तों का गठन किया है। यह दस्ते दिन-रात नदियों व जलाशयों पर चौकसी रखेंगे।
गौर हो कि मत्स्य प्रजनन काल के दौरान शिकारी धड़ल्ले से मछली का शिकार करते हैं व बाजार में मुंह मांगी कीमत वसूलते हैं। नदियों की दूरी लंबी होने के कारण अकसर शिकारी विभाग के गार्डो की आंखों में धूल झोंककर अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं। प्रजनन काल में मछली का शिकार होने से इनकी संख्या में भारी कमी आ जाती है। मत्स्य विभाग ने इस बार मछली के अवैध शिकार को रोकने के लिए कमर कस ली है।
प्रजनन काल में मछली का शिकार अवैध
मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक सतपाल मेहता ने कहा कि प्रजनन काल में मछली का शिकार अवैध है। इस दौरान शिकारियों पर नजर रखने के लिए विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रजनन काल के दौरान मत्स्य पालन करने वालों को जानकारी देने के लिए विभाग शिविरों का आयोजन भी करता है।

मंडी में बाप के हत्यारे को उम्र कैद

फास्र्ट ट्रैक कोर्ट मंडी के पीठासीन अधिकारी टीएस कायस्थ की अदालत ने दीपराम निवासी बाह सरकाघाट पर बाप की हत्या का आरोप सिद्ध होने पर उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है।
इसके अलावा 5 हजार रुपए जुर्माना व इसे अदा न करने की सूरत में उसे एक साल की अतिरिक्त कैद का भी फरमान सुनाया है। वहीं आईपीसी की दो अन्य धाराओं के तहत उसे 2-2 साल का साधारण कारावास व एक-एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
सजाएं साथ-साथ चलेंगी। 31 जनवरी 2008 को दीप राम व उसके पिता तेगू राम की आपस में किसी बात को पिता पर पत्थर से वार कर दिया था जिससे पिता की मौत हो गई थी।

सुखराम ने लिया सक्रिय राजनीति से संन्यास

मंडी. पूर्व केद्रीय मंत्री और प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पंडित सुखराम ने गुरुवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। सुखराम ने कहा कि उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अनिल शर्मा के लिए सहेज कर रखी।
अनिल हमेशा उनकी कमजोरी रहे। लोस चुनाव में अनिल ने सदर से लीड दिलाकर दिखा दिया कि वह राजनीति में जम गए हैं। सुखराम ने कहा कि सियासी मजबूरियों के चलते उन्हें अलग पार्टी बनानी पड़ी।
हालांकि उस समय भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अनिल शर्मा को राज्यसभा सदस्य के तौर पर भाजपा की सदस्यता लेने को कहा था, लेकिन उन्होंने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया। उन्होंने माना कि वीरभद्र सिंह से उनके नीतिगत मतभेद रहे। व्यक्तिगत मतभेद कोई नहीं था।
अपने आवास पर वीरवार को पत्रकार वार्ता में कांग्रेस सुखराम ने कहा कि पिछले कार्यकाल में आनंद शर्मा की परफॉर्मेस के कारण ही उन्हें पदोन्नति दी गई। वीरभद्र सिंह को उनकी योग्यता और अनुभव के कारण कैबिनेट में लिया गया है। केंद्रीय मंत्रीमंडल में दो कैबिनेट मंत्री बनाकर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रदेश के लोगों पर बहुत बड़ा एहसान किया है।
डिंग मंडी (सिरसा) क्षेत्र के जोधकां गांव के राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल में शिक्षकों द्वारा ब्ल्यू फिल्म देखने के मामले में स्कूल के 10 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा प्रिंसिपल ज्ञानचंद कंबोज को छोड़ कर समूचे स्टाफ को भी बदल दिया गया है।
डीईओ ने मामले की रिपोर्ट शिक्षा निदेशालय को भेज दी है। गत दिवस स्कूल में चार शिक्षकों को ब्ल्यू फिल्म देखते हुए गांव के लोगों ने पकड़कर एक अन्य कमरे में बंद कर पुलिस को सूचित कर दिया था। पुलिस ने मौके पर पहुंच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
पूछताछ के दौरान पुलिस को मामले में तीन अन्य शिक्षक व एक दुकानदार के भी शामिल होने का पता चला। उनके खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। उधर, नाराज ग्रामीणों ने हंगामा किया और हाईवे पर जाम भी लगाया।
सिरसा की जिला शिक्षा अधिकारी आशा किरण ग्रोवर ने बताया कि ब्ल्यू फिल्म देखने के प्रकरण में शिक्षा निदेशालय के निर्देशानुसार उक्त स्कूल के 10 शिक्षकों गुरमीत, जनकराज, सुरेश गिरी, सतपाल, राजकुमार, रवैल सिंह, मूलचंद के अलावा शुक्रवार को स्कूल से गैरहाजिर रहे तीन अन्य शिक्षकों संजीव कुमार, राजपाल व चंद्रजीत को सस्पेंड कर दिया गया है।
प्रिंसिपल ज्ञानचंद कंबोज को छोड़ कर स्कूल के पूरे स्टाफ का दबादला कर दिया गया है। इसके साथ ही मामले की और गहन जांच के लिए जांच समिति भी गठित की गई है। इस समिति में उप जिला शिक्षा अधिकारी गुरदेव सिंह, बीईओ यज्ञदत्त वर्मा व राजकीय सीनियर सेकंडरी स्कूल गुड़ियाखेड़ा के प्रिंसिपल जसपाल सिंह को शामिल किया गया है।
जांच रिपोर्ट के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। थाना डिंग के प्रभारी रामरूप ने बताया कि इस मामले में शेष आरोपियों रवैल सिंह, राजकुमार, मूलचंद व दुकानदार सतीश अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
इस मामले में गिरफ्तार किए गए चार शिक्षकों गुरमीत, जनकराज, सुरेश गिरी व सतपाल को ड्यूटी मजिस्ट्रेट सुखजीत सिंह की अदालत में शुक्रवार को पेश किया गया। अदालत ने उनको जमानत पर रिहा कर दिया।

हिमाचल ने दिए प्यार के फूल

मंडी. बेशक प्रदेश में वेलेनटाइन-डे का अभी ज्यादा क्रेज न हो, लेकिन वेलेनटाइन डे के चलते हिमाचली फूलों की भारी मांग है। हिमाचल में फ्लोरीकल्चर का कारोबार 26 करोड़ के पार हो गया है। इस व्यवसाय से प्रदेश के 2500 परिवार जुड़े हैं। प्रदेश में 584 हैक्टेयर में फूलों की खेती की जा रही है। प्रदेश के सभी जिलों में इस व्यवसाय से लोग जुड़ रहें हैं। प्रदेश की ठंडी जलवायु, नमीयुक्त भूमि और आद्र्रता को इसके लिए उत्तम माना गया है। पॉलीहाउस में पूरे साल इनका उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में विदेशी फूलों का कारोबार 1992-93 में शुरू हुआ। इसमें सबसे पहले सोलन, शिमला, कांगड़ा और चंबा में इसका उत्पादन शुरू हुआ। इसके बाद हर साल उत्पादन बढ़ता गया।...

शुक्रवार, 29 मई 2009

गजल

वीरभद्र लोहा ढूंढ़ के लायेंगे और आनद शर्मा इंडस्ट्री लगायेंगे

केंद्रीय मंत्री मंडल में विभागों के वितरण के बाद हिमाचल के बारे में येही कहा जा सकता है की पहले वीरभद्र लोहा ढूंढ़ के लायेंगे और आनद शर्मा इंडस्ट्री लगायेंगे वीरभद्र सिंह को मंत्रिमंडल विस्तार में इस्पात मंत्री का मंत्रालय दिया गया है जबकि आनंद शर्मा को वन्निज्य के साथ उद्योग विभाग की जिमेवारी भी दी गयी है ऐसे में यह कहा जा सकता है की अगर विर्भादर कोइऊ सपना देखेंगे तो उसे पुरा करने के लिए आनद शर्मा के पर लगाने होंगे मतलब की अगर वीरभद्र सिंह लोहा धुंध कर कहीं से लेट भी हैं तो उसे लगनी की अनुमति आनद शर्मा से लेनी होगी

गुरुवार, 28 मई 2009

राजा का सूर्य उदय, पंडितजी का सूरज अस्त



राजा का सूर्य उदय, पंडितजी का सूरज अस्त
दखल : विनोद भावुक
प्रदेश में कांग्रेस की सियासत में साथ साथ शुरुआत करने
वाले दो दिग्गज इस लोकसभा चुनाव के बाद अलग
दिशाओं की और चलने शुरू हो गये हैं ।
की ऊम्र में जहाँ सुखराम अपनी पारी को समेटने की
घोषणा कर रहे हैं तो वीरभद्र सिंह ७५ साल की ही उम्र में
सियासत की नयी पारी की एक बार फ़िर से धमाकेदार
शुरुआत कर रहे हैं । दिल्ली की सरकार में राजा का
केबिनेट मंत्री बनाना उनके सियासी जलवे की झलक
भर है । राजा का एक बार फ़िर से सूरज उदय हो रहा
है उधर पंडित सुखराम की सियासत का सूरज अस्त
हो रहा है ।


मंगलवार, 26 मई 2009

संस्मरण :न्यूयार्क नहीं नगरोटा

पुष्पांजलि
दो शब्द प्रेम के लिए
उसे लोगों को पढने का हुनर आता था ।
दरबारी सरकारी संस्कृति में आम आदमी
का पिसना उसे अंदर तक आहत कर
जाता था । एक ऑफिसर के रूप में
डॉक्टर प्रेम भरद्वाज अपनी बिरादरी के
सताये आम आदमी दा दर्द बाँटते मिलते थे
तो एक शायर अपने लफ्जों को आम आदमी
की जुबान में बिना लग लपेट के कहता
दिखता है । यह वही आदमी है जिसकी
अदा का कायल अगर भरमौर है तो डलहौजी
में भी उसकी कलम का कारोबार चलता है ।
छोटी काशी उस आदमी के काम को बरीकी
से देखती है । प्रेम का कारवां कहाँ कहाँ से
गुजरते हुए कहाँ कहाँ तक जा पहुंचता है ।
इस प्रेम में न्यूयार्क की नहीं नगरोटा की
हसरत है ।नौकरी पूरी हुई, बच्चों की शादियाँ
कर दी । अब उस जगह का हक़ अदा करने
का वक़त आ गाया। नगरोटा में प्रदेश का कल्चर
सेंटर विकसित हो इसी पर रात दिन मंथन व्
चिंतन चल रहा था । शुरू आत हो चुकी थी ।
इसी बीच प्रेम की प्यास जगा कर वो शख्स ख़ुद
किसी दूसरी दुनिया में प्रेम का अलख जगाने
निकल गया । काश कोई प्रेम की प्यास को
समझे और नगरोटा में प्रेम की अगन जगाये।
आगे फ़िर कभी ..........................

गजल

साफा

नजर ओआदा मुक्दा साफा ।

टोपिया पिचे लुक्दा साफा ।।

गरीब प्यो कूदी बिहानी ।

दरेली दरेली झुक्दा साफा ।।

बुम्बल बड़े सजाये कुद्मन ।

आदर खा तर पूछ दा साफा ।

सफेयाँ सफेयाँ फरक बटेर ।
इक लूटें , इक लुत्दा साफा ।।

पग परं बिच पोंडी आई ।

जह्लू जह्लू रुस्दा साफा ।।

हटिया भठिया गोरान गलियन ।

बस गरीबन जो मुछ्दा साफा ।।

लग जोग भी देना पांडे ।

ना इ बोलें कुस्दा साफा ।

गजल


लीडर
जित्ते बेशक हारे लीडर ।
इको दे ही सारे लीडर ।।

जिथु मौका जाह्लू मिला ।
खाई जांदे चारे लीडर ।।

भीड़ चलाना पोंदी सोगी ।
खूब लगांदे लारे लीडर ।।

जिते तां नजर नि ओंदे ।
रहंदे टारे टारे लीडर।।

अकड़ जाह्लू ओना लगें ।
करना पोंदे टारे लीडर ।।




गजल

गजल


सनका ने ही होनियाँ गला

बिच रास्तें परकाला पोना।
सफरें जे तरकाला पोना।।

नोटां वाले होना लग्गे ।
हुण आखां पर जाला पोना ।।

धुंध बरसाती पोंदी आई ।
रुत बद्लोनी पाला पोना ।।

पहलें खूब बनाये चेले ।
हुन गुरुआ ने पाला पोना ।।

ठगी ठोरी चलदी रहनी ।
जाहलू तक है गाला पोना ।।

सनका ने ही होनियाँ गला ।
जे मूमे पर ताला पोना ।।











गजल

गजल



गद्देयां बोझे डोंदे रहना

कितना की फनोंदे रहना ।
काहलू तक दबोंदे रहना ।।

घोडेयां दोडाँ जीती लेइयाँ ।
गद्देयां बोझे डोंदे रहना ।।

हकां तांइ लड़ना पोना ।
नि मिलने जे रोंदे रहना।।

टब्बर बड़ा छपर छोटा।
बूडे बड़े संगोंदे रहना ।।

नी जादा भी रोंदे रहना ।
कितना की ठगोंदे रहना।।

बाबेयां माला जप्देयाँ रहना।
चोरा खीसे तोह्न्दे रहना ।।

गजल


चिडियां जो दाणा चाहिदा

बस मुंह ही नि फुलांना चाहिदा .
कदी सिर भी झुकाना चाहिदा ।

कदी सुख दुःख भी लाना चाहिद।
कोई तां अपना बनाना चाहिदा ।।

बन ही नी कटाना चाहिदा ।
कोई बूटा भी लाना चाहिदा।।

हल्ला ही नी पाना चाहिदा ।
कदी हथ भी बंडाना चाहिदा।।


कोई रुसदा मनाना चाहिदा ।
कोई रोंदा हंसाना चाहिदा ।।

कदी दिल भी लगाना चाहिदा ।।
कदी मिटना मिटाना चाहिदा ।।

खाना भी कुछ बचाना चाहिदा।
थोडा दान पुन कमाना चाहिदा।।

नाचना भी कने नचाना चाहिदा ।
पहलें तां गाना बजाना चाहिदा।।

कोई सपना सजाना चाहिदा ।
कोई बंजर बसाना चाहिदा ।।

कुत्ते जो तां मठुनी चाहीदी
चिडिया जो भी दाणा चाहिदा ।।

रविवार, 24 मई 2009

गजल


चाचा

लगेया जीणा मरणा चाचा ।
मरणे ते क्या डरना चाचा ।।
शेर बणी के जीणा चाचा ।
भेड़ बणी नी मरणा चाचा ।।
हथ पैर भी हलाना पौने
रोज नी बूता सरना चाचा ।।
मरने बाद भी जिन्दा रहंदे ।
ऐसा कम कोई करना चाचा ।।
लश्कें गद्कें बेशक जिन्हा ।
पर नी लगदा बरना चाचा ।।
मश्केरा ने भारियाँ बीडाँ ।
पानिये सारें झरना चाचा ।।
आली बिच ही मारदा चुबीअं ।
कदी तां पतना तरना चाचा ।।
दफ्तर - दफ्तर बहरे टोने ।
देना पोना हुन धरना चाचा ।।
गल गठी नें बणी रखनी ।
जे करना सेह भरना चाचा ।।

शनिवार, 23 मई 2009

दुविधा में राजा, टेंशन में प्रजा


मंडी से कांग्रेस के सांसद बने राजा वीरभद्र सिंह केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बन पाए , इस बात को लेकर हिमाचल में कांग्रेस से ग्रासरूट से जुड़े कार्यकर्ता बुरी तरह से हतोत्साहित हैं। हालाँकि हिमाचल के कोटे से केबिनेट में झंडी पाने वाले आनंद शर्मा पिछली मनमोहन सरकार में मिनिस्टर फॉर स्टेट थे और नेशनल लीडर के रूप में उनकी पहचान होती है लेकिन उनका नाता प्रदेश के वोटरों से ज्यादा दस जनपथ के साथ है। दूसरी और वीरभद्र प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े मॉस लीडर माने जाते है। मंडी की लडाई अपने बलबूते जीतने वाले वीरभद्र सिंह के बारे में पार्टी आलाकमान के कान भरने का सिलसिला लंबे अरसे से चल रहा है। अपनी ही पार्टी में उनके विरोधी दिल्ली दरबार में अपना काम करने में कामयाब रहे हैं । राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा के मुकाबले कुर्सी की दौड़ में लोकसभा सांसद की स्टेट का सबसे सीनियर लीडर होने की योग्यता नजरअंदाज हो गई है । प्रदेश में पार्टी संगठन के साथ के बावजूद उनके दावे का खारिज होना यहाँ उनके वफादारों को अखरने लगा है। ऐसे में जहाँ वीरभद्र ने दिल्ली में चुपी साध रखी है वहीँ अपने समर्थकों को भी अभी तक जुबान बंद रखने की हिदायत दी है । दरअसल मंगलवार को होने वाले केबिनेट विस्तार से पहले वीरभद्र सिंह कोई विवाद खडा नहीं करना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद है कि केबिनेट विस्तार में उनके दावे पर आलाकमान विचार कर सकता है दावे को मजबूत करने के लिए वीरभद्र सिंह हर सोर्स को लोबिंग कर के लिए प्रयोग कर रहे हैं ।
सरवाइवल कि लडाई लड़ रहे वीरभद्र को अगर विस्तार में उनके कद के मुताबिक पोस्ट नहीं मिलती है तो प्रदेश कांग्रेस में आर पार कि लडाई तय है । अगर एसा होता है तो हिमाचल में नुकसान कांग्रेस का ही होगा।