रविवार, 18 अप्रैल 2010

जिला वेल्फेयर कमेटी नहीं चाहती बंद हो उनकी पेंशन

सरकार को नहीं टेंशन, सेलरी के साथ पेंशन
बल्ह ब्लॉक की कसारला पंचायत में अपात्र व्यक्तियों को मिल रही सामाजिक सुरक्षा पेंशन
आरटीआई का खुलासा, हकीकत सामने आने के बावजूद बंद नहीं हो पाई पेंशन
मंडी कसारला पंचायत सामाजिक पेंशन को लेकर अनियमितताओं का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां की एक महिला सरकारी नौकरी भी करती है और उसे विधवा पेंशन भी प्रदान की जा रही है। आरटीआई के तहत खुलासा हुआ है कि लीला पत्नी गोपाल सरकारी नौकरी के बावजूद विधवा पेंशन भी प्राप्त कर रही है। यह हास्यास्पद है कि यह सच जानने के बावजूद सियासी रसूख के चलते सरकारी अधिकारी उक्त महिला की पेंशन रोकने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं। हालांकि यिमों के मुताबिक वे सामाजिक पेंशन के हकदार नहीं है, बावजूद इसके वे सामाजिक पेंशन हासिल कर रहे हैं। हैरानी तो इस को लेकर है कि सरकारी अधिकारी भी जानते हैं कि उनकों सामाजिक पेंशन का भगुतान गैर कानूनी है, लेकिन चाह कर भी वे अपात्र व्यक्तियों की पेंशन बंद नहीं करवा रहे हैं। यह सनसनीखेज खुलासा आरटीआई के तहत जुटाई गई जानकारी में हुआ है। जिला कल्याण अधिकारी मंडी की ओर से सदर तहसील के गरोड़ू गांव की प्रेमी देवी को सूचना अधिकार कानून के तहत दी गई जानकारी चौकाने वाली है, वहीं जिला कल्याण समिति की कार्यप्रणाली पर भी कई सवालिया निशान लगाती है। जिला कल्याण अधिकारी ने अपने जवाब में कहा है ग्राम पंचायत कसारला में दस अपात्र व्यक्तियों को बुढ़ापा अथवा विधवा पेंशन सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग की ओर से प्रदान की जा रही है। जिला कल्याण अध्किारी ने अपने जवाब में कहा है कि कसारला पंचायत के अपात्र पेंशन धारकों की सूचि को जिला कल्याण समिति की बेठक में प्रस्तुत किया था लेकिन समिति ने उक्त अपात्र व्यक्तियों की पेंशन बंद करने की अनमति नहीं दी। जिला कल्याण अधिकारी ने आगे लिखा है कि इस सूचि को फिर से विभागीय आदेशों के अनुसार फिर से समिति के पास प्रस्तुत किया जाएगा। तो क्या सियासी आका तय करते है पेंशन जिला कल्याण अधिकारी की ओर से दिए गए जवाब तो साफ जाहिर होता है कि सामाजिक पेंशन के लिए निर्धारित नियम नहीं, सियासी रसूख तय करता है। अगर यह बात नहीं है तो फिर नियमों के तहत अपात्र पाए गए व्यक्तियों की पेंशन बंद करने के लिए जिला कल्याण समिति की सिफारिश का इंतजार क्यों किया जा रहा है। सनद रहे कि प्रदेश सरकार की ओर से गठित जिला कल्याण समिति का अध्यक्ष लोक निर्माण मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह है। जिला कल्याण समिति की बैठक हर तीन माह बाद होती है।
522 अपात्र पेंशनरों की हुई पहचान
जिला कल्याण अधिकारी मंडी के कार्यालय ने जिला में ऐसे 522 मामलों की पहचान की है जहां अपात्र होने के बावजूद बुढ़ापा अथवा विधवा पेंशन दी जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इससे भी ज्यादा मामले हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार इन सभी मामलों की जानकारी जिला कल्याण समिति को है लेकिन जानकारी होने के बावजूद अपात्र व्याक्तियों को पेंशन जारी है, जिसका खामियाजा पात्र व्यक्तियों को भगतना पड़ रहा है। जाहिर है कि सियासी नफे नुक्सान के हिसाब से सामाजिक पेंशन तय हो रही है। इस अपात्रों को मिल रही पेंशन
नाम पेंशन क्यों हैं अपात्र
बसाखू पुत्र पोसू बुढ़ापा पेंशन लड़के सरकारी नौकरी करते
पत्नी बसाखू बुढ़ापा पेंशन लड़के सरकारी नौकरी करते हैं।
चिंती पत्नी सोहण सिंह बुढ़ापा पेंशन लड़के सरकारी नौकरी करते हैं।
महशवरु पत्नी सवारु बुढ़ापा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।
दियूली पत्नी चमार बुढ़ापा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।
कादरी पत्नी नरायणू राम बुढ़ापा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।

द्रोमती पत्नी जाहरु राम बुढ़ापा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।
मस्ती देवी विधवा नील विधवा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।
विद्या विधवा बेली राम विधवा पेंशन लड़का सरकारी नौकरी करता है।
लीला विधवा गोपाल विधवा पेंशन स्वयं सरकारी नौकरी करती है।

गैर कानूनी ढंग से बुढ़ापा और विधवा पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। सच जानने के बावजूद जिला कल्याण समिति ऐसी पेंशन बंद नहीं कर रही है। इस सारे मामले की जांच होनी चाहिए और रिकवरी होनी चाहिए।
प्रेमी देवी , जिसने आरटीआई के तहत जानकारी प्राप्त की है।
अपात्र व्यक्तियों की पेंशन बंद करने के लिए जिला कल्याण समिति के पास सूचि रखी थी लेकिन जिला कल्याण समिति पेंशन बंद करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया । मामले को दोबारा जिला कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
पीआर धीमान, जिला कल्याण अधिकारी

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें