सोमवार, 19 अप्रैल 2010

जब हिमाचल की दो सीटों से चुने गए तीन सांसद


जब हिमाचल की दो सीटों से चुने गए तीन सांसद

मंडी । बेशक सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह सच है कि आजाद भारत के पहले आम चुनाव में हिमाचल प्रदेश में दो संसदीय सीटें थी और यहां से तीन एमपी चुन कर लोकसभा पंहुचे थे। यहां के राजानीतिक इतिहास का यह भी रोचक प्रसंग है कि देश के पहले आम चुनाव की शुरुआत भी हिमाचल प्रदेश से ही हुई।
देश के अन्य हिस्सों में मतदान से दो माह पहले ही हिमाचल प्रदेश की दो सीटों के लिए चुनाव हो गए। लाहौल, किन्नौर और चंबा में बर्फबारी की आशंका के चलते यहां अक्टूबर 1951 में ही मतदान करा लिया गया जबकि पूरे देश में मतदान दिसंबर और फरवरी 1952 में हुआ था।
उस समय प्रदेश की कुल जनसंख्या साढ़े नौ लाख के करीब थी जिसमें साढ़े पांच लाख मतदाता थे। इस चुनाव में मंडी-महासू संसदीय सीट से द्विसदस्यीय उम्मीदवार प्रणाली के तहत कपूरथला की रानी अमृत कौर और गोपी चंद लोकसभा के लिए चुने गए जबकि चंबा-सिरमौर सीट पर एआर सेवल विजयी होकर संसद पहुंचे। बताया जाता है कि इस चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह था।
लोग यह जानना चाहते थे कि आखिर किस तरह से पहली बार चुनाव प्रक्रिया संपन्न होगी और कौन जीतेगा। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में मौसम एक बड़ा कारण बनता है। उस समय भी मौसम के कारण ही चुनाव पहले ही कराने पड़े थे।
पहले आम चुनाव में किसी संसदीय सीट को एससी और एसटी के लिए रिजर्व करने का नियम नहीं था, लेकिन लोकतंत्र में इन वगोर्ं को उच्च प्रतिनिधित्व देने के लिए कुछ सीटों को द्विसदस्यीय एवं त्रिसदस्यीय सीटें घोषित किया गया था।
मंडी-महासू संसदीय सीट को द्विसदस्यीय सीट घोषित किया गया था। इसमें एक सामान्य श्रेणी और दूसरा आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार चुना जाता था। मंडी-महासू सीट से रानी अमृतकौर जहां सामान्य श्रेणी से एमपी बनी, वहीं गोपी राम आरक्षित श्रेणी से चुने गए।

पहला चुनाव, पहला मंत्री
पहले आम चुनाव में मंडी-महासू सीट से चुनी गई रानी अमृतकौर को देश के पहले कैबिनेट में मंत्री होने का गौरव हासिल हुआ। नेहरू कैबिनेट में उन्हें देश का पहला स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। अमृतकौर की गिनती जवाहर लाल नेहरू के बेहद करीबियों में की जाती थी।

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