सोमवार, 19 अप्रैल 2010

धरोहरों को बचाने का शंखनाद

धरोहरों को बचाने का शंखनाद
धरोहर संरक्षण संगोष्ठी 2010 के आयोजन प्रदेश की धरोहरों के सरंक्षण एंव संवर्धन के लिए स्थानीय समाज को जागरूक करने की स्थानीय सामाज की एक पहल थी। संगोष्ठी में प्रदर्शियों, समीनार, परिचर्चा, नाटक और चित्रकला, भाषण और लोकगीत प्रतियोगिता के बहाने धरोहरों को बचाने का शंखनाद किया गया। संगोष्ठी में उपस्थित विभिन्न विभिन्न ऐतिहासिक मंदिरों के पुजारियों ने मंदिरों के संरक्षण - संवर्धन में आ रही समस्याओं को सामने रखा। संगोष्ठी के दौरान प्रतिभागियों को परमपरागत खाने परोसे गए। धरोहरों को बचाने के लिए विपाशा सदन में दो दिन हुए चिंतन मंथन में यह बात उभर कर सामने आई है कि अगर प्रदेश के अलग- अलग स्कूल धरोहरों को गोद लें तो प्रदेश की विभिन्न धरोहरों के आस्तित्व को बचाया जा सकता है। धरोहरों के संरक्षण के लिए स्कूलों को धरोहरों को गोद लेने की मांग की गई है। संगोष्ठी में यह बात भी सामने आई है कि कई निजी स्कूलों की ओर से यह मौखिक आदेश दिए गए है कि कि बच्चे स्थानीय बोली न बोलें,। संगोष्ठी में इस बात पर चिंता जाहिर की गई है अगर स्कूलों ने अपना रवैया नहीं बदला तो इस बोली का वजूद खत्म हो जाएगा। संगोष्ठी में भारतीय पुरातत्व विभाग नई दिल्ली, प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग और प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित प्रदर्शनियों के बहाने प्रदेश की पुरातत्विक धरोहरों, प्राकृतिक धरोहरों और सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित किया। निजी संग्रहकर्ताओं में मांडव्य कला मंच ने पुरातन परिधानों और वाद्य यंत्रों को प्रदर्शित किया तो सतीश सक्सेना ने माचिसों के संग्रह का आयोजन किया गया। पुरी ज्वैलर्स की ओर से पुरातन आभूषणों को प्रदर्शित किया गया। संगोष्ठी के दो दिन सतोहल नाटय संस्थान की ओर से महिला जैसी अनमोल धरोहर के संरक्षण को लेकर मातृदिवस नामक नाटक का मंचन किया गया । इस दौरान ननावां गांव से आई गुलाबी ठाकुर और उनकी टीम ने छिंज लोकगीत को मुंच पर जीवित कर दिया। सेमीनार का उदघाटन अवसर पर मुख्यतिथि मंडलीय आयुक्त अशवनी शर्मा ने कहा कि मंडी में धरोहरों के संरक्षण को लकर जागरूकता को देखते हुए मंडी में संग्रहालय बनाने की जरूरत महसूस की। उन्होंने कहा कि मंडी में संग्रहालय बनाने के लिए वह प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे। कार्यक्रम में भाग लेने पहुचे उपायुक्त डा. अमनदीप गर्ग ने कहा कि संगांष्ठी में आए विभिन्न प्रतिभागियों के सुझावों और विचारों को लिपिबद्व करना चाहिए ताकि धरोहरों के संरक्षण को लेकर बनने वाली नीति निर्धारण के काम आ सके। भारतीय पुरातत्व विभाग के वरिष्ठ सर्वेक्षण अधिकारी अशोक कोंडल ने बताया कि ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार के नए कानून के अनुसार धरोहरों पर अतिक्रमण करने पर जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातत्व विभाग प्रदेश की 40 ऐतिहासिक धरोहरों के सरंक्षण के लिए काम कर रहा है। संगोष्ठी में आयेजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल रहे स्कूली बच्चों को भारतीय पुरातत्व विभाग और मांडव्य कला मंच की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए।


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