गुरुवार, 12 जनवरी 2012

सलाखों के पीछे पहुचे चाणक्य सियासत के



सुप्रीम कोर्ट से सजा के साथ सियासत के चाणक्य सुखराम के युग का समापन
सलाखों के पीछे पहुचे चाणक्य सियासत के
कांग्रेसी दिग्गज को कांग्रेस से दूसरी बार दिखाया जा सकता है बाहर का रास्ता

1993 के टेलिकॉम घोटाला घोटाले के आरोपी पूर्व टेलिकॉम मिनिस्टर सुखराम को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने और ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने का आदेश के बाद हिमाचल प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता सुखराम के युग का समापन हो गया। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में सुखराम को 3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा। इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगते ही प्रदेश की सियासत के चाणक्य कहे जाने वाले सुखराम का राजनीतिक सितारा ढूब गया। मंडी जनपद के छोटे से गांव कोटली से निकल कर प्रदेश और देश की सियासत में छा जाने वाले सुखराम अपने जीवन की सांझ में विवादों में घिरे रहे।
केस नंबर : 1
3 साल की कैद, सुप्रीम कोर्ट की मुहर
दिल्ली की एक अदालत वर्ष 2002 में सुखराम को उपकरण सप्लाई में हैदराबाद स्थित एडवांस रेडियो कंपनी के प्रबंध निदेशक रामा राव को अपने पद का दुरूपयोग कर फायदा पहुंचाने और सरकार को 1.66 करोड़ का नुक्सान करवाने पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दिल्ली की एक अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। 19 दिसबर 2010 को दिल् ली हाईकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था। 5 जनवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगा दी।
केस नबर : 2
तीसरी बार बने गुनाहगार
केंद्र की नरसिंहा राव सरकार में दूर संचार मंत्री रहे सुखराम को अपने पद का दुरूपयोग कर एक केवल सप्लाई कंपनी को लाभ पहुंचाने के 15 साल पुराने मामले में दिल्ली की एक अदालत ने 19 नवंबर को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम व आपराधिक षडय़ंत्र रचने का दोषी करार देते हुए पांच साल कैद की सजा सुनाई। विशेष न्यायधीश आरपी पांडे ने 84 वर्षीय सुखराम के खिलाफ यह फैसला सुनाया।
केस नंबर : 3आय से अधिक संपति , तीन वर्ष की क़ैद
सुखराम को आय से अधिक संपत्ति के मामले में सजा हो चुकी है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने बारह साल पुराने मामले में 20 फऱवरी, 2009 को सुखराम को दोषी कऱार दिया था। उन्हें तीन वर्ष की क़ैद के अलावा दो लाख रूपए ज़ुर्माना भी लगाया गया था। सीबीआई की विशेष अदालत से उन्हें ज़मानत मिली है। उन्होंने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है।
1996 में पड़े थे सीबीआई के छापे
सीबीआई ने अगस्त, 1996 को सुखराम के दिल्ली, ग़ाजियाबाद और हिमाचल प्रदेश स्थित घरों पर छापा मारा था. सीबीआई ने तब उनकी संपत्ति का करोड़ों रुपए में आकलन कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। वर्ष 1997 में भ्रष्टाचार निरोधक क़ानून के तहत उनके ख़िलाफ़ अदालत में चार्जशीट दायर की गई थी। प्रदेश से कांग्र्रेस के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाने वाले 84 वर्षीय सुखराम वर्ष 1991 से लेकर 1996 तक केंद्रीय संचार मंत्री रहे थे।
नगर परिषद से लोकसभा तक
1962 में नगर परिषद मंडी के सचिव पद को छोड़ कर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में उतर कर कांग्रेसी दिग्गज एवं स्वतंत्रता सेनानी कृष्णानंद को हराकर राजनीति की शुऊआत करने वाले सुखराम 1983 तक प्रदेश कांग्रेस सरकार में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेवारी संभालते रहे। 1977 की जनता पार्टी लहर के बीच भी अपने मंडी के किले को बचाने में कामयाब रहे। केंद्र की राजीव गांधी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री व स्वतंत्र प्रभार के केंद्रीय खाद्व आपूर्ति मंत्री रहे। केंद्र की नरसिंहा राव सरकार में दूरसंचार मंत्री बने। बतौर केंद्रीय मंत्री रहते भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने पर 1996 में उन्हें कांग्रेस से निष्कासित किर दिया गया था। सुखराम ने 1997 में हिमाचल विकास कांग्रेस ( हिविंका ) का गठन किया और 1998 में प्रदेश में भाजपा से गठबंधन कर धूमल सरकार में साझीधार रहे। अपने चार विधायकों को मंत्री बनवाया और खुद रोजागार सृजन समिति के अध्यक्ष बने। इतना ही नहीं, वह अपने बेटे अनिल को भी राज्यसभा भेजने में कामयाब रहे। 2004 में सुखराम की हिविंका का फिर से कांग्रेस में विलय हो गया। वर्ष 2004 में उन्हें दोबारा कांग्रेस में एंट्री मिली । प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में सुखराम ने सकिय राजनीति से खुद को किनारे करते हुए अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अनिल को सौंप दी।

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