गुरुवार, 12 जनवरी 2012

पहाड़ पर बच्चे नहीं कुपोषण का शिकार

केरल के साथ कुपोषण को मात देने में हिमाचल प्रदेश की आदर्श स्थिति
पहाड़ पर बच्चे नहीं कुपोषण का शिकार
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जारी की नादी फांउडेशन की सिटीजन स्टडी रिपोर्ट

शिशु मृत्यु दर को कम करने में देश में शीर्ष पर रहने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश में बच्चे कुपोषण का शिकार नहीं हैं। कुपोषण को मात देने में हिमाचल प्रदेश ने केरल के साथ आर्दश स्थिति हासिल की है। यह खुलासा नादी फांउडेशन की सिटीजन रिपोर्ट का है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को सामाजिक-राजनीतिक शख्सियतों की मौजूदगी में पहली सिटीजन स्टडी रिपोर्ट जारी की। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल और केरल में कुपोषित बच्चों की तादाद देश में सबसे न्यूनतम18 फीसदी है, जबकि कुपोषण के मामले मेें उत्तर प्रदेश सबसे बद्दतर स्थिति में है। देश के में कुपोषण के सबसे प्रभावित सौ जिलों में 41 जिले अकेले उत्तर प्रदेश के हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने में सभी दलों के युवा सांसदों के संसदीय फोरम की अहम भूमिका रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजीव बिंदल ने कुपोषण के मामले में प्रदेश की आदर्श स्थिति के लिए प्रदेश की भाजपा सरकार की नीतियों को श्रेय दिया है।
बच्चों की संभाल में हम बेमिसाल
कुपोषण को मात देने के मामले में प्रदेश की आदर्श स्थिति के लिए कई कारकों की अहम भूमिका है। जन्म से लेकर एक साल तक के बच्चे का प्रदेश में सरकार की ओर से निशुल्क उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नागराज का कहना है कि प्रदेश में हैल्थ इंडीकेडर बहुत अच्छे हैं, जबकि शिशु संभाल को लेकर भी परिजन जागरूक हैं।स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं अरैर आंगनबाड़ी काय्रकर्ताओं ने भी अहम रोल अदा किया है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय अच्छी होने और शिक्षा का स्तर अच्छा होना भी कुपोषण को मात देने में कारगर सिद्व हुआ है।
मां अनपढ़ तो बच्चा कुपोषित
कुपोषण के मामले में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। सिटीजंस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक अनपढ़ मां के बच्चे शिक्षित माताओं के बच्चों से ज्यादा कुपोषित पाए गए। इसी तरह जहां साफ सफाई, पीने के पानी की बेहतर व्यवस्था, राशन की दुकान और सडक़ें हैं वहां के बच्चों में अपेक्षाकृत कुपोषण कम है।
वजन और लंबाई आधार
सिटीजन स्टडी रिपोर्ट में ं बच्चों के वजन और लंबाई को कुपोषण मापने के दो प्रमुख आधार बनाया गया है। रिपोर्ट में बच्चों के कुपोषण के मामले में यूपी के जिन जिलों की सबसे खराब हालत है उनमें बहराइच पहले नंबर पर है। यहां के करीब 50 फीसदी बच्चे मानक से कम वजन के मिले, जबकि करीब 70 फीसदी बच्चों की लंबाई कम पाई गई। कम लंबाई को रिपोर्ट में स्टंटेड कहा गया है।
क्या कहते हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का कहना है कि कुपोषण को मात देने में सरकार की नीतियां अहम रही हैं। प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना सरकार की प्राथमिकता में शामिल हैं । गर्भधारण से लेकर प्रसव तक महिला का सारा ट्रैक रिकार्ड हैल्थ डिपार्टमेंट रख रहा है ताकि स्वस्थ्य शिशु पैदा हो। एक साल तक बच्चे का उपचार निशुल्क किया गया है। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के दम पर ही प्रदेश में जहां शिशु मृत्यु दर को कम करने में अहम भूमिका निभाई है, वहीं कुपोषण को खत्म करने में भी आदर्श स्थिति तक पहुंचे हैं।

स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने को प्रदेश सरकार ने अपनी प्राथमिता में शािमल किया हे। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं के बलबूते हम चाइल्ड केयर को लेकर गंभीर हुए हैं, वहीं प्रदेश में टीकाकरण को लेकर सरकार गंभीर रही है। नतीजे हमारे सामने हैं।
राजीव बिंदल, स्वास्थ्य मंत्री हिमाचल ्रपद्रेश।

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