शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

जहरीला पहाड़ की झीलों का पानी

खज्जियार, रिवालसर और रेणुका झीलें प्रदूषित, कैग रिपोर्ट का खुलासा
जहरीला पहाड़ की झीलों का पानी
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी व झील संरक्षण कार्यक्रम में नहीं शामिल

कभी नीले और साफ पानी को लेकर मशहूर रही हिमाचल प्रदेश की तीन झीलें पूरी तरह से प्रदूषित हो गई हैं, बावजूद इसके इस झीलों को केंद्र के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण मिशन में शामिल नहीं किया गया है। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चंबा के खज्यिार में स्थित खज्जियार झील, सिरमौर के रेणुका में स्थित प्रदेश की सबसे बड़ी झील रेणुका और मंडी के रिवालसर में स्थित रिवालसर झील पूरी तरह से प्रदूषण का शिकार हो चुकी है, बावजूद इन झीलों को राष्ट्रीय नदी व झील संरक्षण का हिस्सा नहीं बनाया गया है। झीलों के अलावा व्यासकुंड से निकलनी बाली ब्यास नदी और सिरमौर में बहने वाली मारकंडा नदी का पानी हिमाचल प्रदेश के क्षेत्र में भी कई स्थानों पर जहरीला हो चुका है, लेकिन दोनों नदियों को भी केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण कार्यक्रम में जगह नहीं मिली है।
मिनी स्वीटजरलैंड मेें तालाब में तबदील हुई झील
मिनी स्वीटरजरलैंड के नाम से मशूहर चंबा की बेहद रणमीय खज्जियार घाटी में देवदार के घने पेड़ों के बीच स्थित खज्जियार झील अब तालाब में तबदील हो चुकी है। झलहौली से 16 किलोमीटर और चंबा से 25 किलोमीटर दूर कालाटोप वाइल्ड लाईफ सेंचूरी के अंदर स्थित इस झील के संरक्षण की हर योजना फेल हो चुकी है।
त्रिवेणी संगम में सीवरेज की मार
हिंदू, सिखों और बौद्वों के त्रिवेणी संगम रिवालसर में स्थित रिवालसर झील मंडी से 24 किलोमीटर दूर है। सीवरेज से निकलने वाली गंदगी की मार से झील का पानी पूरी तरह से पूदूषित हो चुका है। समुद्र तल से 1360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 735 मीटर वृत वाली इस झील को बचाने के पिछले अढ़ाई दशक से हो रहे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।
सबसे बड़ी झील सबसे ज्यादा प्रदूषित
प्रदेश की सबसे बड़ी झील सिरमौर के रेणुका में स्थित है, लेकिन परशुराम की तपोस्थली रही यह झील भी प्रदूषण के पंजे में आ चुकी है। रेणुका बांध के विवाद के चलते चर्चा में चल रही रेणुका झील में पहुंचने वाले नदियों और सहायक नदियों में प्रदूषण बढऩे से रेणुका झील जहरीली हो चुकी है।

भूजल को लेकर नहीं कोई खतरा
झीलों और नदियों को लेकर बेशक कैग की रिपोर्ट चितित करने वाली हो, लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में भूजल को लेकर स्थिति बेहतर है। प्रदेश के 68 ब्लॉको में कहीं भी भूजल के अत्याधिक दोहन अथवा कमी की कोई बात नहीं है। प्रदेश का भूजल अच्छी गुणवता का पाया गया है।

रेणुका, रिवालसर और खज्जियार झीले प्रदूषित हैं और ब्यास और मारकंडा नदी के कई हिस्सो का जल प्रदूषित हो चुका है, लेकिन ये पांचों वाटर बॉडीज केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के राष्ट्रीय नदी एवं झील संरक्षण का हिस्सा नहीं हैं।

रविंद्र शर्मा,एसडीओ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिलासपुर
प्रदेश में वाटर बॉडीज के संरक्षण के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं। प्रदेश की झीलों और नदियों का प्रदूषित होना चिुंता की बात है, वहीं पर्यावरण संरक्षण के दावों की पोल भी खोलती हैं।

कामरेड रत्न चंद, प्रसिद्व पर्यावरणविद्व ।

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