गुरुवार, 19 जनवरी 2012

युवाओं ने लगाए पहाड़ की उम्मीदों को नए पंख

युवाओं ने लगाए पहाड़ की उम्मीदों को नए पंख
पहाड़ का युवा प्रतिभावान है और अपनी प्रतिभा के बलबूते सारे देश के युवाओं के लिए मिसाल बन रहा है। यहां न गरीबी आड़े आती है न कठिन परिश्रम। धुन के पक् के यहां के युवाओं ने हर क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रदेश की प्रतिभाओं की कामयाबी भरी रिपोर्ट ।

महकी मोहित की मखमली आवाज
नाहन के नया बाजार निवासी मोहित चौहान की अथाह मेहनत और लंबे संधर्ष के बाद अब उनकी मखमली आवाज का जाूद लोगों के सिर चढ़ कर बोलने लगा है। हर तरफ उनके गाये गीत सुने और सराहे जा रहे हैं। चाहे लव आज कल का ये दूरियां.. गीत हो या कमीने का पहली बार मुहब्बत की है..। दिल्ली 6 का मसकली.. और जब वी मेट का तुम से ही दिन होता है.. गीतों को श्रोता अभी तक भूले नहीं होंगे।
मोहित चौहान ने नामचीन गायकों को पछाडक़र ग्लोबल इंडियन फिल्म व टेलीविजन ऑनर्स अवॉड्र्स में सर्वश्रेष्ठ पाशर््व गायक का खिताब जीता। अवॉर्ड के लिए मोहित चौहान का सुपरहिट गीत पी लूं तेरे... व तुझे भुला दिया... नामित किए गए थे। मोहित को यह अवॉर्ड वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई के गीत पी लंू... के लिए दिया गया है। इस गीत को जी सिने अवॉर्ड में वर्ष 2010 का सारेगामापा सर्वश्रेष्ठ गीत आंका गया । मोहित चौहान का यह गीत 56वें फिल्म फेयर अवार्ड के लिए भी नामजद हुआ ,लेकिन पुरस्कार पर मोहित कब्जा नहीं कर पाए। 27 फरवरी 2010 को 55वें फिल्म फेयर अवार्ड में फिल्म दिल्ली- 6 के गीत में मस्सक कली... के लिए मोहित चौहान को 2009 के सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार भी मिला था।
एनिमेशन में विकास राणा का दम
कांगड़ा जिले की एक प्रतिभा ने भी एक बड़े कैनवास पर प्रतिभा की छाप छोड़ी है। हिमाचल की प्रतिभाएं कहीं पर भी अपना हुनर दिखा सकती हैं। उन्होंने यह सिद्व कर दिखाया है कि प्रतिभा केे लिए सुविधाओं की जरुरत नहीं होती। बगैर सुविधा के भी सृजन किया जा सकता है। प्रदेश के युवा फिल्मकार विकास राणा की डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘रोशनी रेज ऑफ होप’ ने मैक 24 एफपीएस इंटरनेशनल एनिमेशन अवॉर्ड के लिए देश भर से चुनी गई पांच सौ फिल्मों को पछाड़ते हुए आखिरी 5 फिल्मों में जगह बनाई है। 14 दिनों के छोटे से अंतराल में गैर व्यवसायी कलाकारों को कास्ट करते हुए बनाई गई यह फिल्म संयुक्त राष्ट्र की ओर से निर्धारित किए गए आठ मिलेनियम डवलपमेंट गोल में से एक एजूकेशन पर आधारित है। फिल्म 9 दिसंबर को मुंबई में इंटरनेशनल एनिमेशन अवॉर्ड समारोह में नामांकित किया गया है। फिल्म की शूटिंग कांगड़ा जिला के नगरोटा सूरियां के लंज और पौंग डैम के पास की गई है। दिल्ली से डिजिटल फोरम ऑफ फिल्म मेकिंग की पढ़ाई कर रहे रहे विकास राणा मूलत: कांगड़ा जिला के लंज क्षेत्र के रहने वाले हैं।
तान्या ने मनवाया फैशन डिजायन में लोहा
मंडी की 24 साल की तान्या नरूला ने फैशन की दुनिया में अपना लोहा मनवा लिया हैं। उसने इस साल विल्स लाईफ स्टाइट डेब्यू पुरस्कार हासिल किया है। वह फिलहाल दिल्ली की पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन से पढ़ाई कर रही है। लोअर समखेतर मुहल्ले के व्यवसायी जसबिंदर नरूला और एडवोकेट मां किरण नरूला की बेटी तान्या के सफेद कपड़ों से पर सोने और लेजर कट से तैयार किए गए उनके डिजायनों ने उन्हें फैशन की दुनिया के अहम पुरस्कार विल्स लाईफ स्टाईल डेब्यू ऑफ द इयर पुरस्कार का हकदार बना दिया प्रतियोगिता में तान्या ने देश भर के प्रतिष्ठित फैशन स्कूलों के 300 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ पहला स्थान हासिल किया। उसके सभी कॉलेक्शन सफेद कपड़ों से बने थे जिन्हें स्वर्ण और लेजर कट से सजाया गया था। पढऩे में टॉपर रहने वाली मिडल, हाई व सीनियर सेकंडरी में हिमाचल बोर्ड से स्कॉलरशिप भी हासिल की है। 24 साल की उम्र में फैशन की दुनिया में खलबली मचाने वाली तान्या प्रदेश की संस्कृति को भी फैशन का हिस्सा बनाने की हसरत में है।
पूरी हुई सब्जी बेचने वाले शंकर की तपस्या
सैन्य अकादमी देहरादून की पासिंग आउट परेड में जब इस साल मंडी के शंकर कुमार के सीने पर लेफटिनेंट का तमगा टांगा गया तो उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह एक सैन्य अधिकारी बन गया है। सन्यारडी मोहल्ले की जमुना देवी पर चार बच्चों के भविष्य की जिम्मेदारी थी और जब सबसे छोटे बेटे ने आर्मी कमीशन पास किया तो जमुना देवी को तपस्या फलीभूत हो गई। यह एक मां के संस्कारों की ही जीत थी कि घर के हालात के चलते बतौर सिपाही सेना में भर्ती होने वाले शंकर ने चार साल की कड़ी मेहनत से सैन्य अफसर का पद हासिल कर लिया। जमुना देवी ने मंडी में रेहड़ी पर फल बेचकर अपने परिवार की परवरिश की है। स्कूली दिनों में शंकर कुमार भी अपनी मां का हाथ बंट वाता रहा है। प्रताप हाई स्कूल में दसवीं करने के बाद शंकर कुमार ने मंडी के विजय हाई स्कूल से जमा दो की परीक्षा पास की। विजय हाई स्कूल में शंकर कुमार की गिनती होनहार स्टूडेंट्स में होती थी। शंकर कुमार ने 2006 में आर्मी कमीशन पास करने के लिए तैयारी शुरू की । पहले तीन प्रयासों में वह कमिशन पास करने में नाकाम रहा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। चौथे प्रयास में वह कमीशन पास करने में कामयाब रहा।
शिमला की शिप्रा बनी मास्टर शेफ
शिमला की शिप्रा खन्ना ने यह खिताब जीतकर यह जता दिया है कि कुकिंग में पहाड़ी लोगों का कोई सानी नहीं है। दो दिन तक चले फाइनल मुकाबले में शिप्रा ने वेकट.योगर्ट और अमृतसर फिश को इटालियन फ्लेवर में पकाकर यह खिताब अपने नाम किया। इसके साथ ही शिप्रा को एक करोड़ नकद पुरस्कार भी मिलेगा। मास्टर शेफ सीजन.2 पर कब्जा करके शिप्रा खन्ना स्टार आईकन बन गई हैं। स्टार प्लस समूह द्वारा आयोजित मास्टर शेफ प्रतियोगिता जीतने के बाद शिप्रा हजारों उन युवतियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं जो कि घर की चारदीवारी तक सीमित हैं। मास्टर शैफ की दावेदारी ठोंकने वाले देशभर के 19 प्रतिभागियों को पछाड़ कर शिप्रा ने खिताब पर कब्जा जमाया। शिप्रा खन्ना ने एक के बाद एक सभी प्रतिभागियों पर जायके के मामले में जीत हासिल की। डेढ़ माह तक चले मुकाबले में शिप्रा ने एक के बाद एक लजीज डिश तैयार कीं। मास्टर शेफ बनकर शिप्रा खन्ना ने एक करोड़ जीते। साथ ही शिप्रा को इस जीत के बाद लंदन की नि:शुल्क यात्रा का ऑफर मिला है। इसके अलावा अमेरिका में आयोजित होने वाले फूड फेस्टिवल के लिए भी शिप्रा का चयन किया गया है।
उद्योग का नया सितारा बनी रितु
औद्योगिक नगर बद्दी की उद्यमी रितु सिंघल को इस साल भारत का सर्वोच्च महिला उद्यमी अवार्ड मिला है। वह बद्दी स्थित औद्योगिक इकाई विनर निप्पन इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (रैगलान ग्रुप) की प्रबंध निदेशक हैं। यह कंपनी टेक्सटाइल के क्षेत्र में सिंथेटिक लैदर का निर्माण करती है। मुंबई में एक समारोह में इन्फोसिस टेक्नोलाजिस के चेयरमैन एनआर नारायण मूर्ति ने उन्हें वर्ष 2011 की सर्वश्रेष्ठ महिला उद्यमी का सम्मान प्रदान किया। भारत के लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्योगों में से यह सम्मान दिया जाना था, जिसमें 13 उत्पादन वर्ग की हर श्रेणी में 30 कंपनियां शामिल थीं। कड़ी प्रतियोगिता के बाद ज्यूरी नें 20 सफल उम्मीदवारों को शार्ट लिस्ट किया। अंतिम दौर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार सैम पित्रोदा की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने पांच प्रतिभागियों को शार्ट लिस्ट किया। उसमें हिमाचल से ताल्लुक रखने वाली रितु सिंघल का नाम बरकरार रहा। उनका कड़ा मुकाबला एशिया पैसिफिक, एयरटेल भारती, लक्सर गु्रप, बीपी एग्रो लिमिटेड और फोर्टिस हैल्थ केयर तथा शौपर्स स्टॉप से था। अंत में कड़े सवाल जवाब के बाद रितु सिंघल को वर्ष 2011 के खिताब से नवाजा गया।
आरती ने कबड्डी में दिखाया नया आकाश -
ग्रामीण क्षेत्रों के सबसे लोकप्रिय खेल कबड्डी में प्रदेश की आरती ठाकुर ने कामयाबी अर्जित करनी शुरू कर दी है। आरती ठाकुर इस खेल में एक बेहतरीन खिलाड़ी सामने आई हैं। इस साल धर्मशाला में संपन्न हुई ऑल इंडिया साई इंटर जोन महिला प्रतियोगिता में साई नार्थ चंडीगढ़ (धर्मशाला) को विजयश्री दिलाने में आरती की अहम भूमिका रही है। वह हिमाचल टीम की कप्तान भी है। महज दो वर्ष के ही करियर में अपने खेल से उसने साबित किया है कि वह खेल में प्रदेश और देश का नाम रोशन करने का माद्दा रखती है। कांगड़ा जिले की देहरा तहसील के पाईसा गांव के कश्मीर सिंह की बेटी आरती ने वर्ष 2009 में कबड्डी में कदम रखा था। साई में आने के बाद यह खिलाड़ी 2010 मे ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी और दो सीनियर नेशनल में तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं। हाल ही में जूनियर इंडिया कैंप में उसका चयन हुआ था, जिसमें इंडिया टीमें आरती की जगह सुनिश्चित मानी जा रही थी। ऑल इंडिया साई इंटर जोन महिला कबड्डी प्रतियोगिता में आरती ठाकुर को बेस्ट रेडर का पुरस्कार प्रदान किया गया।
रीता बनी पहाड़ की उडन परी
रीता ने इस बार प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित की गई लंबी दूरी की रेस प्रतियोगिताओं में प्रथम रह कीर कामयाबी के नए झंडे गाड़े हैं। रीता ने भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आयेाजित मैराथन को भी जीता। साथ में सुंदरनगर मेले में आयोजित मैराथन में भी विजेता बनी । अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले के दौरान पिछले दो साल से आयोजित हो रही हॉफ मैराथन का खिताब अपने नाम करने वाली हमीरपुर जिला के लदरौर के नजदीकी गांव नालनी की 23 वर्षीय रीता ठाकुर 2014 में कोरिया में होने वाली एशियन गेम्स के लिए 10 हजार मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीतने का सपना संजोए वह हर रोज कम से कम 15 किलोमीटर दौड़ती है। वह 2007 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियन रही है तभी से आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में मैडल जीत कर आ रही है। रीता ठाकुर आने वाले दिनों में प्रदेश की सबसे उभरती हुई धावक है। दस हजार मीटर की दौड़ के लिए 25 साल की उम्र सबसे आर्दश उम्र होती है। एशिएन गेम्स में रीता ठाकुर से मैडल की उम्मीदें की जा सकती हैं, बशर्ते इस खिलाड़ी को निखारने में पूरे प्रयास किए जाएं।
धौलाधार की बेटी ने झुकाया मांउट एवरेस्ट
तीन साल पहले तक कांगड़ा के जयंती विहार की राजिका एक आम लडक़ी की तरह अपने सपनों में रंग भरने के लिए वायुसेना में जाने का मन बना ुचकी थी। डीएवी कॉलेज कांगड़ा की स्टूडेंट रही राजिका के सपनों में रंग भरना शुरू हुए थे तीन साल पहले जब वायुसेना में बतौर फ्लाइट लेफ्टिनेंट उसका चुनाव हो गया। यही राजिका की जिंदगी का टर्निंग प्वायंट था। आज राजिका के सिर पर उस जीत का सेहरा है, जो दुनिया के बिरले लोगों को नसीब हुई है। राजिका दुनिया के उन लोगों की कतार में शामिल हो गई है, जिनके कदमों के आगे दुनिया का सबसे बड़ा पहाड़ नतमस्तक हो गया। राजिका ठाकुर पहाड़ की उस बेटी का प्रतिनिधित्व कर रही है, जो कभी डिक्की डोलमा, कभी दीपू शर्मा तो कभी राधा देवी के रूप में पहाड़ के दंभ को अपने हौंसले के बदबूते फतेह करने का दमखम रखती है। कांगड़ा की फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजिका शर्मा उन वायुसेना अधिकारियों में शामिल है , जिन्होंने हाल ही में विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया है। वायुसेना के इतिहास में भी यह पहला मौका है जब महिला अधिकारियों ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया हो। इस अभियान में शामिल 11 अधिकारी उसी रास्ते से माउंट एवरेस्ट पर गए,जहां से एडमंड हिलेरी व शेरपा तेजिंग गए थे।
सबसे छोटी उम्र में बनी बालीवुड की संगीतकार
पहाड़ की एक बेटी ने अपनी प्रतिभा के बलबूते बालीवुड की सबसे छोटी उम्र की संगीतकार होने का बड़ा मुकाम हासिल किया है। निर्माता केतन मेहता और अनूप जलोटा की दीपा मेहता निर्देशित फिल्म तेरे मेरे फेरे से मंडी की 23 वर्षीय शिवांगी ने फिल्मी दुनिया में अपने संगीत के कैरियर की शुरूआत कर दी है। संगीतकार एसडी कश्यप और लोक गायिका रविकांता कश्यप की बेटी को गीत संगीत की शिक्षा बचपन से ही घुटी के रूप में मिली है और वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पिछले दो सालों से मुबंई में संघर्षरत है। पंजाबी पृष्ठभमि पर शादी के रिश्तों को हास्य के तौर पर पेश करने की दीपा मेहता की इस गंभीर मूवी में शिवांगी कश्यप ने न केवल संगीत दिया है, बल्कि फिल्म के टाइटल सोंग सहित फिल्म के गीतों को भी आवाज दी है। शिवांगी के पिता एसडी कश्यप प्रदेश के नामी संगीतकार हैं। प्रदेश के अधिकतर चर्चित लोकगायक उन्हीं के संगीत—निर्देशन में लोकगीत गा कर चर्चित हुए हैं। एसडी कश्यप लंबे समय तक मुंबई में संगीत निर्देशन करते रहे, लेकिन बालीवुड में रम न पाने के कारण वापस मंडी लौट आए और पनारसा कस्बे में रिकार्डिंग सटूडियों बना कर लोक संगीत के प्रचार—प्रसार में जुटे हुए हैं। मुंबई में रह कर जो काम एसडी कश्यप नहीं कर पाए, उम्मीद की जा रही है कि उस उधूरे सपने को शिवांगी पूरा करेगी।

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