घर -घर बेशक पेईयां छिंजां।
पर तां पिड़ां ते गेईयां छिंजां।।
माली जितणी कुनी कुसी ते।
हुण अप्पु हीं ढहेईयां छिंजां।।
अपनों की ही जुबानी तो अपने राज निकले।
जो राजदार रहे अपने वही दगाबाज निकले।।
पर तां पिड़ां ते गेईयां छिंजां।।
माली जितणी कुनी कुसी ते।
हुण अप्पु हीं ढहेईयां छिंजां।।
अपनों की ही जुबानी तो अपने राज निकले।
जो राजदार रहे अपने वही दगाबाज निकले।।
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