सीता की अग्रिपरीक्षा तो फिर काहे का राम है।
सियासत है सब यह तो सियासत को सलाम है।
रावण के अंत के लिए चाहिए विभीषण का साथ।
सच की जीत को भी क्या कोई षडय़ंत्र जरूरी है।।
मैं तेरे वजूद की जरूरी जरूरत हो जाऊंगा।
देखना एक दिन मैं तेरी आदत हो जाऊंगा।।
लोकतंत्र मे वोटर का वजूद भी क्या खूब है।
आज मैं अधिकार कल मिन्नत हो जाऊंगा।।
सियासत है सब यह तो सियासत को सलाम है।
रावण के अंत के लिए चाहिए विभीषण का साथ।
सच की जीत को भी क्या कोई षडय़ंत्र जरूरी है।।
मैं तेरे वजूद की जरूरी जरूरत हो जाऊंगा।
देखना एक दिन मैं तेरी आदत हो जाऊंगा।।
लोकतंत्र मे वोटर का वजूद भी क्या खूब है।
आज मैं अधिकार कल मिन्नत हो जाऊंगा।।
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