बुधवार, 27 फ़रवरी 2013

मैं भक्त सिंह तेरे देश में सरदार होना चाहता हूं....

मैं भक्त सिंह तेरे देश में सरदार होना चाहता हूं....

हुकूमत की नजर में अब गद्दार होना चाहता।
व्यवस्था के बदलाव में किरदार होना चाहता हूं। 

लूट के इस दौर में तो लुट गया कोई कौर में।
हक किसी का जहां मरे तकरार होना चाहता हैं।

आग लगा दे पानी में भर दे जोश जवानी में।
कलम में धार हो तो फनकार होना चाहता हंू।। 

मोल सिरों का नहीं करे जो राज दिलों पर करे।
लोकतंत्र के खेल में वो सरकार होना चाहता हूं।।

यह देश अभी गुलाम है करने को बहुत काम है।
मैं भक्त सिंह तेरे देश में सरदार होना चाहता हूं।।
विनोद भावुक 14 फरवरी 2013

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