न रुबाब ही न दौलत का हिसाब आएगा।।
काम तो तेरे हर जगह तेरा बर्ताब आएगा।।
काम तो तेरे हर जगह तेरा बर्ताब आएगा।।
जब जनता गूंगी है और निजाम बहरा है।
भूख बस्ती में है, हवेली मैं कबाब आएगा।।
भूख बस्ती में है, हवेली मैं कबाब आएगा।।
कलम की आबरू भी गरीब की बेटी जैसी।
कभी दबाव आएगा कभी तनाव आएगा।।
कभी दबाव आएगा कभी तनाव आएगा।।
सियासत से मांगेंगे तब लगान का हिसाब।
अवाम की अदालत में जब नबाव आएगा।।
अवाम की अदालत में जब नबाव आएगा।।
कहर आसमां से बरपे, जमीं दगा दे जाए।
वार कुदरत का, करना कहां बचाव आएगा।।
वार कुदरत का, करना कहां बचाव आएगा।।
मुहाने पर घर बनाए उन्हें कौन समझाए।
उस सूखे दरिया में पानी बेहिसाब आएगा।।
उस सूखे दरिया में पानी बेहिसाब आएगा।।
बेताव दिल के हिस्से रुस्वाई का है मौसम।
नाकाम मुहब्बत का कोई खिताब आएगा।।
नाकाम मुहब्बत का कोई खिताब आएगा।।
इक जुबान की खातिर कौन जान देता है।
है चेहरे की जरूरत, काम नकाब आएगा।।
है चेहरे की जरूरत, काम नकाब आएगा।।
इंटरनेट के दौर में ख़त का जवाब आएगा।।
दिल फिर भी कहता है इन्कलाब आएगा।।
दिल फिर भी कहता है इन्कलाब आएगा।।
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